
पराये लंड के लिए मैं बेवफा हो गयी
मेरा नाम करुणा है, अपने पति को मैं प्यार से गुड्डू कहती हूँ।
यूँ तो हमारी शादी को 4 साल हो गए हैं और मेरी एक साल की बेटी भी है। वैसे तो मैं सुखी हूँ पर लगता था कि कुछ कमी सी है, मेरे वो बहुत सीधे हैं और मैं भी उनको बहुत प्यार करती हूँ.
मैं भी अपनी कॉलेज लाइफ में बहुत सीधी रही हूँ, न मैंने किसी लड़के को घास डाली और न डालने दी पर जब वो कभी-2 अन्तर्वासना की कहानी मुझे पढ़ कर सुनाते तो मुझे लगने लगता कि मुझे भी कोई दूसरा प्यार करने वाला चाहिए जो एक बार मुझे कस कर अपनी बांहों में लेकर ज़ोरदार तरीके से कुछ नया तरीका अपना कर मुझे चोद सके।
पर क्या करूँ, मेरी हिम्मत ही नहीं होती थी, जब वो मुझे कभी ब्ल्यू फ़िल्म दिखाते और कोई लड़की दो मर्दों से चुदती दिखती तो मेरे अंदर की प्यास और जग जाती, उस रात मैं गुड्डू से दो बार तो चुदवाती ही थी पर शायद अभी मेरी किस्मत में दूसरा लन्ड नहीं लिखा था तो मैंने यह विचार मन से निकालना ही बेहतर समझा।
पर क्या करती जब भी इनसे कोई कहानी सुनती या बीएफ़ देखती तो ये उमंगें ज़ोर पकड़ लेती। वैसे मैं ज्यादा सुंदर तो नहीं हूँ पर मेरा शरीर बहुत शानदार है, 38-30-36 !
मेरे मम्मे भी बहुत भारी हैं जब वो इनके बीच में लंड घुसा कर मेरे मम्मों को चोदते हैं तो मजा आता है, और जब उनकी पिचकारी ऐसे में मेरे मुँह तक आती है तो और भी मजा आता है, मेरा दिल झूम उठता है।
पर कहते हैं न कि सच्चे मन से कुछ मांगो तो भगवान भी सुन लेता है। मेरे इनके एक दोस्त हैं सुनील ! वो अक्सर हमारे यहाँ इनके सामने और इनके पीछे भी आते रहते हैं।
एक दिन मैं मेरी बेटी को दूध पिला रही थी और सुनील हमारे यहाँ आ गये।
मैं अकेली थी, ये ऑफिस गये थे तो मैं थोड़ा फ्री होकर बैठी थी और मुझे उम्मीद भी नहीं थी कि कोई आएगा तो मेरे लगभग दोनों मम्मे बाहर ही थे।
और सुनील अचानक चला आया तो मैं संभाल भी न सकी। पर क्या करती वो मुझे देख कर मुस्कराया और नमस्ते की। मैंने तुरंत अपने आपको संभाला और उसको बैठने की लिए कहा।
उसने लपक कर मेरे बेटी को सहलाने का बहाना करके थोड़ा मेरे मम्मों को भी सहला दिया और मैं कुछ भी ना कह सकी।
उसके बाद सुनील ने कहा- भाभी, चाय पिला दो!
मैंने बेटी को उसको दिया और मैं चाय बना कर ले आई। मैंने तब सोचा कि कहीं सुनील मेरी प्यास बुझाने के लिए सही रहेगा क्या? या कहीं यह मुझे बाद में बदनाम तो नहीं कर देगा?
मैंने सोचा कि जल्दबाज़ी ठीक नहीं रहेगी। फिर मैं सुनील के सामने बैठ कर चाय पीने लगी।
थोड़ी देर शांति रही, फिर सुनील बोला- भाभी, एक बात है, भैया प्रसन्न तो रहते हैं?
मैंने पूछा- क्या बात है? वो तो हमेशा ही खुश रहते हैं।
तो वो बोला- जिसके पास ऐसी सुंदर पत्नी हो वो हमेशा खुश ही रहेगा!
और वो फिर पड़ोस वाली लड़की की बात बताने लगा कि उसका उसके साथ चक्कर है और वो 3 लड़कों से भी मिलती है, कुछ इस तरह की बात !
मैंने कहा- तुम्हारा किसके साथ चक्कर है, यह तो बताओ?
तो वो बोला- आपसे ही चलाने की सोच रहा हूँ।
मैं मन ही मन तो खुश हुई पर मैंने कहा- गुड्डू से मिल कर फिर सोचना!
तो वो बोला- इसीलिए तो आज तक नहीं चला पाया हूँ।
मैंने सोचा कि आज तो सुनील पीछे ही पड़ गया, चलो देखते हैं कि क्या होता है।
तभी मैंने कहा- तुम्हारे भैया के आने का समय हो गया है।
तो वो बोला- रहने दो, आज मैं चलता हूँ, कल दोपहर में आऊँगा।
मैंने कहा- ठीक है !
अगले दिन सुनील दो बजे आ गया और एकदम बनठन कर आया था।
मैंने सोचा कि आज तो यह मुझे चोद कर ही जाएगा और यह सोच कर मेरा मन भी उसकी तरफ आसक्त होने लगा।
मैंने कहा- बैठो आप !
और वो बैठ गया, उस समय मैं गुड़िया को सुला रही थी और वो मुझे बैठा-बैठा देखने लगा और मुस्कराने लगा।
मैंने पूछा- क्या बात है?
तो क़हने लगा- आज आपको लाइन मार रहा हूँ।
अब मैंने भी सोच लिया कि एक बार इसका ले ही लेते हैं, किसको पता चलेगा, इससे एक बार चुदा ही लेते हैं, क्या फरक पड़ेगा।
सो मैंने कहा- मारो लाइन! देखें पटा पाते हो या नहीं?
सुनील बोला- अगर तुम बुरा न मानो तो मैं अभी पटा लूँ।
मैंने सोचा अगर उनका नाम लिया तो यह वैसे ही डर कर भाग जाएगा तो मैंने कहा- मैं बुरा नहीं मानूँगी !
इतना कहते ही वो मेरे पास आकर बैठ गया और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोला- मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ।
यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने कुछ नहीं कहा और सिर्फ नजरें झुका ली, इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई और वो मेरे और पास आ गया। मैं अंदर ही अंदर काफी खुश थी, थोड़ा डर भी था, पर एक दिल कर रहा था कि कर ले बेवफ़ाई अगर दूसरा लंड लेना है तो !
उसने मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया और वो मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे गाल पर चूमने लगा।
अब मेरे से शायद रुकना मुश्किल था पर मैं शांति से बैठी रही, मन बहुत तरंगित हो रहा था, मन में इच्छा थी कि आज मुझे मनचाहा मिलने वाला है।
उसके बाद उसने मेरे होठों को चूमना शुरू किया।
अब मेरे लिए रुकना नामुमकिन था, मैंने भी उसे बांहों में भर लिया और मैं भी उसके चेहरे, होंठ, गाल पर जोरदार चुम्बन करने लगी, मुझे सुनील में गुड्डू नज़र आने लगा।
अब वो पूरी तरह खुल चुका था।
ऐसा करीब 15 मिनट तक हम करते रहे, मेरी और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी, न वो कुछ कह पा रहा था और न मैं कुछ, बस एक दूसरे को चूम रहे थे और प्यार कर रहे थे।
तभी मुझे ध्यान आया कि मेरा घर खुला हुआ है, मैंने सुनील से कहा- तुम बैठो एक मिनट !
वो बैठ गया, मैंने घर के बाहर जाकर देखा, कोई घर के बाहर नहीं था तो मैंने अंदर आकर अपना गेट बंद किया और गेट बन्द करते ही तो मानो सुनील सब समझ गया और वो शुरू हो गया।
सबसे पहले उसने मेरे मम्मों को आज़ाद किया और उनको चूसना शुरू कर दिया। मैंने रोका उसको कि मेरी बेटी के हिस्से का दूध मत पी, इनको हाथ से सहला ले और दाब ले, जीभ से चाट ले !
उसने ऐसा ही किया और करीब वो 15 मिनट तक उनको सहलाता रहा और चाटता रहा।
तभी उसने मेरी साड़ी खोल दी और पेटीकोट भी उतार दिया।
अब मैं पैंटी में उसके सामने थी और वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठा था।
मैंने कहा- सुनील, यह सही है क्या?
वो मेरा मतलब समझ गया और उसने अपने कपड़े भी खोल दिये !
काफी शानदार शरीर था उसका पर मेरे गुड्डू जैसा नहीं !
उसका लंड मुझे जरूर मोटा लग रहा था पर लंबा ज्यादा नहीं था।
अब उसने मेरे पास बैठ कर मेरी चड्डी भी उतार दी और मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा।
अभी हम खड़े ही थे कि मैंने भी उसका लंड पकड़ लिया, इसका लंड मोटा था।
तभी वो घुटनों के बल बैठ कर मेरी चूत को प्यार करने लगा।
मुझे लगा कि मैं कहीं खो रही हूँ, और कभी वो उसको सहलाते हुए उंगली भी कर देता था, कभी भग्नासा को छेड़ता था जिससे मेरे बदन में आग सी लगती जा रही थी और मैं सुनील को उकसा रही थी, कह रही थी- सुनील, अब तो चोद दे यार ! अब नहीं रहा जाता !
अब उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी टाँगों को फ़ैला दिया, मेरी आँखें बंद थी और मैं सोच रही थी कि यह मुझे तरसा क्यों रहा है, चोद क्यों नहीं देता।
तभी वो मेरे ऊपर लेट गया और अब उसका लंड मेरी चूत में अड़ रहा था, काफी मोटा था, करीब 2′ का तो होगा।
तभी उसने अपना सुपारा मेरे अंदर सरका दिया, मैं एकदम चिहुँक उठी, मेरे दांत भिंच गए, कुछ दर्द महसूस हुआ, पर क्या करती, चुदवाना था तो दर्द पी कर पड़ी रही।
वो शायद समझ चुका था इस बात को तो वो थोड़ी देर रुका और मुझे चूमने लगा, मेरी जीभ को उसने अपने मुँह में ले लिया और एक करारा शॉट मारा।
मैं एकदम निढाल हो गई, बस यही शुक्र था कि उसका लंड गुड्डू से लंबा नहीं था नहीं तो मैं शायद मर ही जाती।
अब वो धीरे-2 धक्के मारने लगा और मुझे भी मस्ती आने लगी थी। कमरे में धप-धप का संगीत गूंज रहा था और मस्ती में मेरी आँखें मिची जा रही थी।
तभी मेरे शरीर में अकड़न शुरू हो गई और मैं झड़ने लगी थी।
मैंने सुनील को कस कर भींच लिया पर वो कहाँ रुक रहा था, वो तो दनादन शॉट मार रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने मेरी टांगें ऊंची उठा दी और फ़िर से एक झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया पर अब मेरी चूत गीली थी सो आराम से लंड अंदर चला गया और वो शुरू हो गया।
मेरे मुँह से आह आह की आवाज निकल रही थी और साथ ही मैं बोल रही थी- ज़ोर से करो !
और इसे सुन कर सुनील के शॉट और तेज हो रहे थे।
तभी मेरे शरीर में फिर अकड़न होने लगी, मैंने सुनील से कहा- मैं फिर से झड़ रही हूँ।
तभी वो बोला- मैं भी आ रहा हूँ।
और वो एकदम मेरे पैरों को सीधे करके शॉट मारने लगा और मेरे साथ ही उसने अपना वीर्य मेरी योनि में छोड़ दिया। हम काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मैंने उसे उठने को बोला और कहा- वो तौलिया लाओ, मेरी भी पौंछों और अपना भी!
इसके बाद उसने कपड़े पहने, मैंने भी पहने!
और चाय पी, फिर वो चला गया।
इसके बाद सुनील मेरे यहाँ करीब पाँच दिन बाद आया पर यह पाँच दिन मेरे लिए बहुत बुरे निकले।
जब गुड्डू रात को बारह बजे नाइट शिफ्ट करके आए तो मैं बहुत बुरा महसूस कर रही थी कि मैंने यह क्या कर दिया?
जब हम रात को सोने गए तो वो अपनी आदत के अनुसार प्यार करने लगे पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उनसे प्यार करूँ।
मुझे एक आत्मग्लानि अपने मन में थी।
मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं रोने लगी उनकी बाँहों का तकिया बना कर मेरी रुलाई फूट पड़ी।
उन्होंने मुझे रोने दिया और जब मैं जी भर कर रो ली तो उन्होंने मेरे आँसू पौंछे और मेरे गालों पर चूम कर बोले कि अगर अपनी मम्मी की याद आ रही हो तो अपनी माँ के पास जा सकती हो।
मुझे उस दिन जितना उन पर प्यार आया, मैं कह नहीं सकती कि मेरे पति मेरा कितना ध्यान रखते हैं और मैंने यह क्या किया?
फिर मैं उनसे लिपट कर लेट गई और उनको प्यार करने लगी।
वो बाले- तुम भी न यार, कभी क्या सोचती हो और कभी क्या करती हो?
मैं जब तुम्हें प्यार कर रहा था तो अपनी मम्मी को लेकर आ गई और अब जब मैं सोने की सोच रहा हूँ तो तुमको करने की पड़ी है।
सच उस दिन मैंने उनको हर तरह से खुश किया।
करीब बीस मिनट सेक्स के बाद हम दोनों सो गए।
मैंने भी सोच लिया था कि मैं अब कभी सुनील को घर में नहीं आने दूँगी जब यह नहीं होंगे पर वो मेरे घर पाँच दिन बाद आया और मेरे पास आ कर बैठ गया।
मैं वहाँ से उठ कर उसके सामने सोफ़े पर बैठ गई।
वो कुछ कहना चाह रहा था पर मैंने उसको बोल दिया- तुम प्लीज, यहाँ अब मत आया करो। मैं भी पता नहीं उनसे कैसे बेवफ़ाई कर बैठी, मैं काफ़ी शर्मिंदा हूँ।
तब वो बोला- जो हुआ उसका मुझे कोई अफसोस नहीं है, मैंने तुम्हें चोदने के बारे में सोचा और मैंने कर लिया, चलो जब तुम्हारी मर्जी हो तो मुझे बुला लेना, मैं आ जाऊंगा।
मैंने कहा- अब मैं तुम्हें नहीं बुलाऊँगी, जो हुआ उसे भूल जाओ, बस जो जब था वो उस दिन ही था।
पर बेशर्म था सुनील जाते-जाते मुझसे पूछने लगा- एक बात बताओ भाभी, उस दिन आपको गुड्डू से ज्यादा मजा आया या नहीं?
मैंने उससे कहा- मुझे सबसे ज्यादा मजा तो गुड्डू के साथ ही आता है और वो सही है मेरे लिए, हाँ एक बात मैं कहूँगी कि मुझे तुम्हारे साथ भी मजा आया यह बिल्कुल सच है।
तभी सुनील उठा और उसने मुझे अपनी बाँहों में भींच लिया और मेरे होंठों पर जोरदार वाला चूमा लिया और चला गया।
लेकिन इस चुम्मे ने मेरा क्या हाल किया, सुनील मुझे चूम कर जा चुका था और मेरे अंदर उस आग को वापस जगा चुका था जो मैंने ना करने की कसम खाई थी।
मुझे लग रहा था कि मुझे अभी किसी मर्द की जरूरत है जो मुझे न मिला तो मैं ना जाने क्या कर लूँगी?
अजीब सी सोच मेरे अंदर पैदा हो रही थी कि मुझे मेरे गुड्डू से बेवफ़ाई करते रहना चाहिए, जिस में मन को खुशी मिले वो कम करते रहना चाहिए या फिर अपनी ज़िंदगी को एक ही तरह, जैसे चल रही थी चलते रहना चाहिए।
पता नहीं मैं क्या करने वाली थी? पर इस समय मुझे अपने आप को शांत करना जरूरी था क्योंकि मेरे अंदर एक वासना पनप रही थी जिसे ही शायद अन्तर्वासना कहते है।
मुझे सेक्स की जरूरत थी।
मैंने देखा कि मेरी बेटी दूध पीते-पीते बस सोने वाली थी।
मैंने उसको सुलाने की कोशिश तेज की और मैंने एक हाथ से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
मेरी बेटी थोड़ी देर में ही सो गई और अब मैंने अपने कपड़े खोलने शुरू कर दिये।
यह भी नहीं सोचा कि मेरा घर खुला हुआ है जिस में से कोई भी अगर आना चाहे तो आ सकता है।
मैं कभी अपने मम्मों को दबाती थी, कभी अपनी चूत को सहला रही थी।
ना जाने मुझे क्या हो गया था?
मुझे अपनी बिलकुल भी परवाह नहीं थी, बस मन मे था कि किसी भी तरह शांति मिल जाए।
जो आग मेरे अंदर लगी है वो शांत हो जाए !
तभी मैंने अपनी चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ना और सहलाना शुरू कर दिया और मेरे घर मे कोई ऐसा सामान देखने लगी जिससे मुझे मजा आ जाए।
तभी मेरी नजर घर में बैंगन पर पड़ी जो कल ही मैं सब्जी के लिए लाई थी।
पहले तो मैंने उसको क्रीम से तरबतर किया, उसके बाद बिल्कुल पागलों की तरह मेरी चूत पर रगड़ने लगी और पता नहीं कब मैंने उस बैंगन को अपनी चूत में डाल लिया और पूरा ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगी।
करीब पंद्रह मिनट बाद मेरा पानी छूट गया तब जाकर मेरे मन को शांति मिली और मैं लंबी-लंबी साँसें लेने लगी
करीब दस मिनट आँखें बंद करके उसी अवस्था में पड़ी रही पर जब आँखें खोली तो क्या देखती हूँ मेरे ऊपर वाली भाभी जी मेरे सामने खड़ी है और मुझे देखे जा रहीं हैं और मेरी चूत मे घुसे हुए बैंगन को भी जो शायद आधा अंदर था और आधा बाहर था।
उनके देखने के अंदाज से ऐसा लग रहा था कि वो मुझे देख के शायद गरम हो चुकी है। मेरा अंदाजा एकदम सही था वो मेरे एक-एक अंग को निहार रही थीं।
मुझसे बोली- अगर ऐसा ही था तो मुझे क्यो नहीं बुला लिया?
मैं क्या कहती?
मैं कुछ कहने के लायक ही नहीं थी।
तभी उन्होंने मुझसे कहा- मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ।
तब मुझे यह ध्यान आया कि ओह! मेरा दरवाजा खुला था और कोई मर्द अंदर नहीं आया वरना पता नहीं क्या हो जाता?
वो तुरंत गईं और दरवाज़ा बंद करके आ गईं और आकर उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया।
कभी मेरे गालों को चूमती तो कभी मेरे मम्मों को सहलाती तो कभी मेरी गांड को दबातीं।
मेरे अंदर वापस वासना भरने लग गई थी।
तभी उन्होंने कहा- मेरे कपड़े खोलो।
मैं भी अब समझ चुकी थी कि मुझे क्या करना है।
मैंने भी उनको ब्रा और पैंटी में कर दिया और उनको गले पर, छाती पर और उनके पेट पर चूमने लगी।
बहुत ही मस्त माहौल था, मैंने उनके गोल-गोल मम्मों को आजाद कर दिया और एक मर्द की तरह उनके मम्मों को दबाने, सहलाने और चाटने लगीं।
वो बोल रही थी- और ज़ोर से काट मेरे मम्मों को, बहुत मजा आ रहा है।
तभी उन्होंने मेरा वो बैंगन उठा लिया और कहने लगी– करुणा, अब नहीं रहा जाता, तू एक मर्द की तरह इससे मुझे चोद।
फिर मैंने भी सोचा, आज तो वास्तव में मजा आ ही गया।
मैं करीब उनको बीस मिनट तक चोदती रही और उनके मम्मों को एक हाथ से सहलाती काटती रही।
उसके बाद जब उनका पानी छूट गया तो मैं भी दोबारा गर्म हो गई थी।
मैंने उनसे भी चोदने को बोला और उन्होंने इसके बाद मुझे चोदा, तब जाकर हम दोनों को शांति मिली।
फिर मैंने और उन्होंने चाय पी।
तो दोस्तो, अभी और कहानी बाकी है जिसको मैं जल्दी ही आपसे कहूँगी।
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