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चालू लड़की ने मेरे लंड को खूब मजा दिया

पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि मेरी गर्लफ्रेंड ने कैसे मुझे धोखा दिया और मेरे दोस्त के साथ में संबंध बनाए.
हमारे बीच में कुछ भी नहीं बचा था।

मैं कुछ दिन ऐसे ही उदास रहा।

आज की प्ले गर्ल सेक्स कहानी तब की है जब मैं कोलेज के पहले साल में था।

मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड मुझसे कभी कभी बात करती थी.
उसने मुझे अपनी एक सहेली की एक मदद करने के लिए कहा, जिसका नाम नाम था वंदना।

मैंने वंदना की मदद कर कर दी.
हम दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और हमारी बातें होने लगी.
रातों घंटे घंटे हम एक दूसरे से बात करते रहे.

उसने मुझे बताया कि वह रोहतक के एक कॉलेज में पढ़ती है।

कुछ समय बाद हमने मिलने का प्लान बनाया.
पर जिस दिन हमें मिलना था, उस दिन मिलने नहीं आई.

मेरा तो दिमाग खराब हो गया.

शाम को उसने फोन करके कहा- मैं कॉलेज में हूं, सीढ़ियों से गिर गई हूं और मेरे सिर में चोट आई है. मैं कुछ कुछ दिन मिल नहीं सकती।

फिर उसने अपनी मौसी की बेटी, जिसका नाम आशु था, का नंबर मुझे दिया और कहा- मेरा फोन टूट गया है. तुम मेरा फोन ठीक करवा कर मेरी मौसी की लड़की को दे देना।
आशु किसी संस्था से JBT कर रही थी।

उस वक्त मैं मेरे एक दोस्त की मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान पर टाइम बिताने चला जाता था.
उसने कहा कि मैं तुम्हें अपनी एक फोटो भी भेज रही हूं। जब तक हम मिलें, तब तक फोटो से काम चला लो।

दोस्त की मोबाइल की दुकान पर अगले दिन उसकी मौसी की लड़की आई और उसने मुझे फोन ठीक करने को दिया.

मैंने उसे फोन ठीक करवा के दे दिया।

तब मैंने कई बार नोटिस किया कि जब भी मैं किसी काम से आशु से से बात करता, उस वक्त वंदना का फोन नहीं लगता था और रात को जब वंदना से बात करता और आशु को फोन कॉन्फ्रेंस मैं लेने की कहता तो वह हमेशा बहाना कर कर डाल देती।

मुझे दाल में कुछ काला लगता … पर मैं शक भी नहीं कर सकता था।

एक दिन दोपहर 3:00 बजे आशु मेरे पास दुकान पर आई और फोन में कुछ खराबी को ठीक करने के लिए मुझे फोन दिया।

जब मैंने फोन का बैक कवर खोला तो उसमें से एक सिम गिर गई मैंने वह सिम अपने फोन मैं डाल कर अपने नंबर पर मैसेज किया तो मुझे पता लगा कि वह नंबर वंदना का है.
इस बात से मुझे समझ आया वंदना और आशु अलग-अलग नहीं, एक ही लड़की है।

जब आशु दुकान पर आई हुई थी, उसी वक्त उनके गांव का एक लड़का, जो मेरा बहुत अच्छा दोस्त था, वह भी दुकान पर आया हुआ था।

आशु के जाने के बाद उसने मुझे कहा- भाई, तू इस लड़की को कैसे जानता है?
मैंने उसे सारी बात बताई.

मेरे दोस्त ने मुझे बताया कि यह लड़की तो सेक्स प्ले गर्ल है, पता नहीं कितने लड़कों के साथ रिश्ता बना चुकी है और यह बेकार लड़की है तू कहां इसके चंगुल में फंस गया.
मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था।

फिर मैंने सोचा कि इसकी अक्ल ठिकाने लगानी पड़ेगी.

मैंने आशु को महसूस नहीं होने दिया कि मुझे सब पता लग गया है.

मैं रात को वंदना मतलब आशु से रोमांटिक बातें करता रहा.

मैंने 2 दिन बाद आशु को फोन करके दुकान पर आने को कहा।
मैंने कहा- मुझे वंदना के लिए तुम्हें कुछ गिफ्ट देना है, तुम शाम को वंदना को दे देना।

वह दोपहर में ही दुकान पर आ गई.
उस वक्त अकेला मैं दुकान पर था।

मैंने आशु को काउंटर के अंदर बुलाया और उसे पीछे बने केबिन में जाने को कहा.
वह अंदर चली गई।

केबिन हमने अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने और दोपहर में आराम करने के लिए बना रखा था जिसमें सुंदर सी कालीन बिछा रखी थी।

मैंने दुकान का शटर बंद किया और अंदर उसके पास जाकर उससे पूछा- वंदना कहां है? उसका फोन नहीं लग रहा.
उसने कहा- वह घर पर है, सो रही होगी इसलिए फोन नहीं लग रहा।

मैंने हंसकर कहा- वह तो तुम्हारे फोन के बैक कवर के अंदर सो रही है।

आशु के होश उड़ गए. वह कुछ बोलने लायक ही नहीं बची थी.
और मेरा पारा बहुत हाई हो चुका था।

मैंने उसे वहीं दीवार के सहारे लगाया, बिना कुछ सोचे समझे उसके गाल पर दो थप्पड़ लगा दिए।

आशु देखने में बहुत गोरी गोरी थी, उसके गाल लाल हो गए.
मेरे अंदर का शैतान जाग गया।

मैंने उसकी गर्दन को पकड़ा और उसके होठों पर अपने होंठ लगा लगा दिए.
लगभग 5 मिनट तक मैं उसे लगातार किस करता रहा।

उसने अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिश की.
पर गुस्सा आए इंसान के सामने किसकी चलती है।

मैंने उसे वहीं पर नीचे बैठा दिया अपना हथियार निकाल कर उसके मुंह में घुसा दिया।

अब वह कुछ बोलने के लायक थी नहीं इसलिए वह चुपचाप मेरा लोड़ा चूसने लगी।
उसके गर्म-गर्म मुंह के अंदर लोड़े को तो जैसे जन्नत मिल गई थी.

मैं अगर आशु के बारे में बताऊं तो आशु की हाइट 5 फुट 3 इंच, रंग बिल्कुल गोरा और उसका फिगर 34-28-34 था।

लौड़ा घुसाने के बाद मैंने उससे कहा- तुम अगर प्यार से मेरे साथ रहना चाहो तो इसमें दोनों का फायदा है और अगर मेरे गुस्से के साथ रहना है तो तुम्हारा ही नुकसान है।

उसने मुझे, जो कुछ हुआ, उसके लिए सॉरी बोला और मेरे साथ रहने के लिए तैयार हो गई।

मैंने आशु को वहीं कालीन पर लेटा दिया और साथ में खुद लेट गया और उसे अपने आप से चिपका कर उसे फिर से किस करने लगा।

वह भी किस करने में पूरा साथ दे रही थी।

हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुंह में एक दूसरे की जीभ से टकरा रही थी।
बहुत हसीन पल था।

मैं उसे किस करते करते करते 34 इंच की चूचियों को दबा रहा था.
वह कुछ ही देर में आहें भरने लगी।

मैं उसके होठों से किस करते करते उसके गालों पर फिर उसकी गर्दन पर किस करने लगा।

वह मुझे जोर से अपने आप से चिपकाए जा रही थी।

फिर उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और मेरी छाती पर किस करने लगी.

उसने मुझे नीचे लेटा दिया और मेरे माथे से किस करते करते मेरी गर्दन मेरी छाती मेरे पेट पर किस करने लगी।

मेरी छाती को तो वह ऐसे चूस रही थी जैसे उस में से दूध निकल रहा हो।

मेरे तो पूरे शरीर में झुरझुरी आ रही थी, ऐसा लग रहा था कि वह पल कभी खत्म ही ना हो।

लगभग 20 मिनट ऐसे ही निकल गए.

फिर मैंने उसके कुर्ते को निकाल दिया.

उसने नीले रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो उसके गोरे रंग पर बहुत ही मस्त लग रही थी।

उसको ऐसे देख कर मेरे लोड़े ने झटके मारने शुरू कर दिए.
मुझसे तो काबू ही नहीं हो रहा था।

मैंने उसको पलटा और उसकी गोरी कमर पर चूमना शुरू कर दिया।

उसे चूमते मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और उसकी गर्दन पर चूमते हुए अपने दोनों हाथ आगे ले जाकर उसके दोनों बूब्स दबाने लगा.
उसके बूब्स ऐसे थे मानो छाती पर दो बड़ी-बड़ी टाइट गेंदें रखी हों।

फिर मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया, ऐसे लगा मानो भगवान ने उसे बहुत ही तराश कर बनाया है।

गोरे-गोरे बूब्स जिन पर गुलाबी निप्पल और बहुत ही छोटा सा एरोला।

मुझसे तो खुद पर काबू ही नहीं हो रहा था.
मैंने उसको गोद में बैठाए हुए ही उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया।

वह मेरी गर्दन पकड़ कर अपनी छाती में दबाए जा रही थी और बड़बड़ करने लगी- हाय मेरे बाबू, खा जाओ इनको कच्चा चबा जाओ।

मैं बारी बारी से दोनों बूब्स चुसे जा रहा था।

फिर मैंने उसे नीचे लेटाया और उसकी सलवार को निकाल दिया।

मेरे सामने अब वह नंगी लेटी हुई थी और अपनी छोटी सी गोरी चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी।

मैं उसकी छाती पर जाकर बैठ गया और अपना लौड़ा उसके होठों पर रगड़ने लगा।

उसने मुंह खोला और लोड़े का टोपा गप से मुंह में लेकर लोड़े के टोपे पर जीभ फिराने लगी।

मैं उसकी गर्दन पकड़ कर उसके मुंह में पूरा लौड़ा ठूँसने की कोशिश करता रहा.
पर उसके मुंह में पूरा लौड़ा नहीं जा रहा था।

आधे से ज्यादा लोड़ा मैं उसके मुंह में अंदर-बाहर करने लगा.
साथ साथ मैं उसकी चूत पर उंगलियां फिराने लगा और धीरे-धीरे एक उंगली की चूत में घुसा दी।

वह पानी छोड़ रही थी और मुझसे बोलने लगी- बाबू प्लीज, अब तो डाल दो. कितना तड़पाओगे?

मुझसे भी अब सब्र नहीं हो रहा था।

मैंने उसकी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाया, अपने लोड़े पर ढेर सारा थूक लगाया, उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत के मुंह पर अपना लौड़ा टिका कर एक करारा झटका दिया.
उसकी चूत बहुत टाइट थी।

जैसा कि मेरे दोस्त ने बताया था कि उसके काफी चक्कर रहे हैं।
मतलब उसने कुछ ना कुछ करके अपनी चूत को टाइट रखा हुआ था.
क्योंकि जब मैंने झटका मारा तो मेरा लौड़ा थोड़ा छिल भी गया था और उसकी गर्म भट्टी जैसी चूत में लौड़ा डालकर मजा आ गया।

वह तो शुक्र है कि मैंने उसका मुंह दबा रखा था वरना उसकी चिल्लाने की आवाज दुकान से बाहर चली जाती.

फिर मैं दो-तीन मिनट तक ऐसे ही उसे ठोकता रहा।

वह मुझे अपने आप से जोर से चिपका कर मुझे नोचने लगी और मेरे होठों को जोर से किस करते हुए झड़ गई।

उसके नोचने से दर्द के साथ मजा भी आ रहा था.
फिर मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया।

अब वह मेरी सवारी कर रही थी और जोर-जोर से आहें भरते हुए आह आह की आवाज निकालने लगी.

उसके बूब्स मेरी आंखों के आगे झूल रहे थे।
मैं उसके बूब्स को बारी बारी चूसता रहा.

फिर वह थक गई क्योंकि उसका दो बार पानी निकल चुका था।

मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा और उसकी गांड के छेद पर थूक दिया और अपना लौड़ा उसकी गांड के छेद पर टिकाया।

वह एकदम डर गई और मना करने लगी- प्लीज आगे कर लो, पीछे दर्द होगा।
मैं भी कहां मानने वाला था।

मैंने उसे बहलाया- दर्द होगा तो नहीं करूंगा.
उसका डर थोड़ा कम हुआ.

तो मैंने धीरे-धीरे अपना लौड़ा उसकी गांड में घुसाने की कोशिश की.
पर वह डर के मारे हिल रही थी जिससे लौड़ा बार बार फिसल रहा था।

मैंने उसकी कमर को कस के पकड़ा और एक करारा झटका गांड में लगा दिया।
आधे से ज्यादा लोड़ा उसकी गांड में घुस चुका था.

वह रोने लगी और लौड़ा बाहर निकालने की मिन्नतें करने लगी।

मेरे झटके की वजह से उसका सिर आगे जाकर दीवार में लगा.
पर मुझे तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

मैं उसकी कमर को जोर से पकड़ कर दे दनादन उसकी गांड पर लोड़े को अंदर बाहर करता रहा।

5 मिनट लगाकर ऐसे ठुकाई के बाद मेरा माल मैंने उसकी गांड में छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर गया।

आधे घंटे बाद मैंने एक बार फिर उसको आगे से ठोका.
फिर हमने अपने अपने कपड़े पहन लिए और केबिन से बाहर आ गए।

मैंने शटर खोल दिया.

5 मिनट बैठने के बाद मेरा फिर मन करने लगा.
मैंने उसे काउंटर के नीचे बैठा दिया और उसके मुंह में लौड़ा देकर उसे चूसने को कहा।

उसने मेरा लौड़ा चूस चूस कर मेरा फिर से पानी निकाल दिया और सारा पानी पी गई।
फिर वह चली गई.

लगभग एक महीना हम लोग चार पांच बार मिले और अच्छे से पेलम पिलाई की।

फिर उसका एकदम से फोन स्विच ऑफ आने लगा.
और मेरे दोस्त के जरिए मुझे पता लगा कि वह किसी और लड़के के साथ भाग गई।

यह प्ले गर्ल चाहे जैसी भी थी … सेक्स के मामले में उसने मुझे हर तरह से खुश किया।

दोस्तो, उम्मीद करता हूं आपको मेरी जिंदगी की दूसरी लड़की की सच्ची कहानी अच्छी लगी होगी।
आप सबका पानी भी चड्डियों में निकल गया होगा।

मिलता हूं जल्दी अपनी अगली कहानी के साथ!
तब तक के लिए बाय बाय.

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